प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ऋग्वैदिक विदुषी स्त्रियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
वैदिक कालीन विदुषी स्त्रियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
वैदिक युग में स्त्रियाँ उच्च शिक्षा प्राप्त करती थीं और याज्ञिक अनुष्ठानों में पुरुषों को सहयोग प्रदान करती थी। इस काल की बहुत सी विदुषी स्त्रियों ने वैदिक मन्त्रों की रचना भी की थी। इन विदुषी स्त्रियों में विश्ववारा, लोपामुद्रा, सिकता, रोमशा और घोषा के नाम उल्लेखनीय हैं। वैदिक ऋषियों में स्त्रियों का भी होना अत्यन्त महत्त्व की बात है। उनकी कृतियों को वैदिक संहिताओं में स्थान दिया गया या उन्हें भी उन ऋषियों में परिगणित किया गया जिन्होंने कि वैदिक मन्त्रों के अभिप्राय को स्पष्ट किया था। ऐतरेय ब्राह्मण में कुमारी गन्धर्वगृहीता का उल्लेख आता है, जिसे परम विदुषी तथा वऋता में अत्यन्त प्रवीण कहा गया है। उपनिषदों में मैत्रेयी और गार्गी नामक स्त्रियों का विवण मिलता है, जो दर्शन, तत्त्वज्ञान, तथा तर्क में पारंगत थीं। बृहदारण्यक उपनिषद् के अनुसार मैत्रेयी याज्ञवक्ल्य ऋषि की पत्नी थी, जिसकी रुचि सांसारिक सुखभोग में न होकर अध्यात्म चिन्तन में थी। उसके मुख से यह कहा गया है कि उन अलंकारों तथा भौतिक सुखों को लेकर मैं क्या करूँ, जिससे मुझे अमरत्व प्राप्त नहीं हो सकता। महाकवि भवभूति के अनुसार मैत्रेयी ने शास्त्रों की शिक्षा महर्षि वाल्मीकि से प्राप्त की थी। विदेहराज जनक की राजसभा में कुरुपंचाल जनपदों के विद्वान एकत्र हुआ करते थे। गार्गी भी वहीँ गई थी, और अपनी अगाध विद्वत्ता तथा तर्कशक्ति द्वारा उसने याज्ञवल्क्य जैसे प्रकाण्ड विद्वान् को शास्त्रार्थ में निरुत्तर कर दिया था। काशकृत्स्नी नामक एक विदुषी महिला ने मीमांसा दर्शन पर एक ग्रन्थ की रचना की थी, और इस दर्शन पद्धति के विकास में विशेष रूप से योगदान दिया था।
महाभारत में ब्राह्मणी काशकृत्स्नी द्वारा प्रोक्त मीमांसा का उल्लेख आया। रामायण के अनुसार सीता प्रतिदिन वैदिक सूक्तों द्वारा प्रार्थना किया करती थी, और राम की माता कौशल्या रेशमी कपड़े पहनकर अग्निहोत्र के अनुष्ठान में तत्पर रहती थीं। जिसमें कि वह स्वयं मन्त्रों का पाठ किया करती थीं। महाभारत के अनुसार पाण्डवों की माता कुन्ती अथर्ववेद में निष्णात थी। इसी प्रकार के अन्य भी अनेक उदाहरण प्राचीन साहित्य से दिये जा सकते हैं। प्राचीन भारत में स्त्रियों का विदुषी होना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी, क्योंकि पुरुषों के समान वे भी उपनयन संस्कार कर ब्रह्मचर्य आश्रम में प्रवेश किया करती थीं और गुरुकुलों में निवास कर वेद शास्त्रों तथा विविध विद्याओं का अध्ययन करती थीं। मनुस्मृति में कन्याओं के लिए भी यज्ञोपवीत का विधान किया गया है। प्राचीन भारत में माता-पिता की यह इच्छा रहती थी कि उनकी पुत्री 'पण्डिता' बने। इसीलिए बृदराण्यक उपनिषद् में कहा गया है कि जो कोई यह चाहे कि मेरी दुहिता पण्डिता बने और सौ वर्ष की पूरी आयु प्राप्त करे, तो वह घी के साथ तिल और चावल पकाकर सेवन किया करे। सूत्रग्रन्थों में भी स्त्रियों द्वारा यज्ञ के अनुष्ठान का उल्लेख मिलता है, जो तभी सम्भव था जबकि वे शिक्षित हों और वेद मन्त्रों का पाठ करने में समर्थ हों। ब्रह्मचर्यपूर्वक गुरुकुल में निवास कर और वहाँ शिक्षा पूर्ण करने में अनन्तर ही कन्याएँ युवा पति से विवाह करने की कामना किया करती थीं। इस तथ्य की पुष्टि में प्राचीन शास्त्रों का " ब्रह्मचर्येण कन्या युवानं विन्दते पतिम्" वाक्य उल्लेखनीय है।
|
- प्रश्न- वर्ण व्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारतीय दर्शन में इसका क्या महत्व है?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जाति व्यवस्था के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए। इसने भारतीय
- प्रश्न- ऋग्वैदिक और उत्तर वैदिक काल की भारतीय जाति प्रथा के लक्षणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में शूद्रों की स्थिति निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकालीन वर्ण व्यवस्था पर प्रकाश डालिए। .
- प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- पुरुषार्थ क्या है? इनका क्या सामाजिक महत्व है?
- प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
- प्रश्न- सोलह संस्कारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के अर्थ तथा उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए तथा प्राचीन भारतीय विवाह एक धार्मिक संस्कार है। इस कथन पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- परिवार संस्था के विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में प्रचलित विधवा विवाह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में नारी शिक्षा का इतिहास प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री के धन सम्बन्धी अधिकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में नारी की स्थिति का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में पुत्री की सामाजिक स्थिति बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सती-प्रथा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक में स्त्रियों की दशा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक विदुषी स्त्रियों के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- राज्य के सम्बन्ध में हिन्दू विचारधारा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाभारत काल के राजतन्त्र की व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा और राज्याभिषेक के बारे में बताइये।
- प्रश्न- राजा का महत्व बताइए।
- प्रश्न- राजा के कर्त्तव्यों के विषयों में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक कालीन राजनीतिक जीवन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के प्रमुख राज्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्य की सप्त प्रवृत्तियाँ अथवा सप्तांग सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य का मण्डल सिद्धांत क्या है? उसकी विस्तृत विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामन्त पद्धति काल में राज्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्य के उद्देश्य अथवा राज्य के उद्देश्य।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राज्यों के कार्य बताइये।
- प्रश्न- क्या प्राचीन राजतन्त्र सीमित राजतन्त्र था?
- प्रश्न- राज्य के सप्तांग सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार राज्य के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्राचीन राज्य धर्म आधारित राज्य थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मौर्यों के केन्द्रीय प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अशोक के प्रशासनिक सुधारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त प्रशासन के प्रमुख अभिकरणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त प्रशासन पर विस्तृत रूप से एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- चोल प्रशासन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- चोलों के अन्तर्गत 'ग्राम- प्रशासन' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- लोक कल्याणकारी राज्य के रूप में मौर्य प्रशासन का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- मौर्यों के ग्रामीण प्रशासन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- मौर्य युगीन नगर प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तों की केन्द्रीय शासन व्यवस्था पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- गुप्तों का प्रांतीय प्रशासन पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- गुप्तकालीन स्थानीय प्रशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में कर के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में कराधान व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- प्राचीनकाल में भारत के राज्यों की आय के साधनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में करों के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कर की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- कर व्यवस्था की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रवेश्य कर पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वैदिक युग से मौर्य युग तक अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य काल की सिंचाई व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत में आर्थिक श्रेणियों के संगठन तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रेणी तथा निगम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- श्रेणी धर्म से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए
- प्रश्न- श्रेणियों के क्रिया-कलापों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन श्रेणी संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए वैदिक शिक्षा तथा बौद्ध शिक्षा की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के प्रमुख उच्च शिक्षा केन्द्रों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "विभिन्न भारतीय दार्शनिक सिद्धान्तों की जड़ें उपनिषद में हैं।" इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अथर्ववेद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।